4 अप्रैल 2012
नई दिल्ली | परमाणु पनडुब्बी आईएनएस चक्र भारतीय नौसेना में शामिल हो गई है। आईएनएस चक्र के बुधवार को समुद्र में उतरने के साथ ही भारतीय नौसेना दुनिया की उन चुनिंदा सेनाओं में शामिल हो गई, जो परमाणु पनडुब्बियों के सहारे सागर की गहराइयों में दबदबा रखती हैं। इस मौके पर रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी भी मौजूद थे। पनडुब्बी को देश को समर्पित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि आईएनएस चक्र देश की सुरक्षा और संप्रभुता सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा कि इससे देश की नौसेना की ताकत में इजाफा होगा।
यह पनडुब्बी एक बार में 3 महीने से अधिक समय तक पानी के अंदर रहने में सक्षम है और पोतभेदी मिसाइलों एवं सतह से हवा में मार करने वाली प्रक्षेपास्त्रों से लैस है। इसे रूस से 10 साल के पट्टे पर लिया गया है। लंबे इंतजार के बाद आई यह पनडुब्बी जनवरी, 2012 में रूस से भारत को सौंपी गई थी। आईएनएस चक्र के समुद्र में उतरते ही अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और चीन के बाद भारत परमाणु पनडुब्बी से लैस छठा देश बन गया है।
आईएनएस चक्र का वजन 8,140 टन है। इस पनडुब्बी की लंबाई 110 मीटर और समुद्र में इसकी रफ्तार 43 किमी प्रति घंटा है। 30 नॉटिकल मील की अधिकतम गति के साथ यह पनडुब्बी पानी में 600 मीटर गहराई में चल सकती है।
आईएनएस चक्र और स्वदेशी आईएनएस अरिहंत जल्द ही गश्त अभियान शुरू कर सकती हैं, जिसके साथ भारत के पास अपनी दूर तक फैली समुद्री सीमाओं पर सुरक्षा के लिए 2 परमाणु संचालित पनडुब्बियां होंगी। आईएनएस चक्र के संचालन के लिए करीब 30 अधिकारियों समेत 70 से अधिक सदस्यों की जरूरत होगी। पनडुब्बी के परमाणु रिएक्टर का निर्माण रूस ने किया है। स्वदेश निर्मित अरिहंत भी नौसेना के बेड़े में जल्दी शामिल हो सकती है। डीआरडीओ प्रमुख वी.के. सारस्वत के मुताबिक, यह अग्रिम चरण में है। अगले कुछ महीनों में यह अभियान के लिए तैयार होगा।
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